गुरुवार, 12 मार्च 2009

राजस्थान के सूर सागर

राजस्थान के सूर सागर का पुराना वैभव लौटने लगा है
बीकानेर में कभी गंदे पानी व कीचड से भरा रह कर शहर के नासूर के रूप में प्रतिष्ठा पा चुके ऐतिहासिक जूनागढ किले के पास बने सूर सागर का पुराना वैभव लोटने लगा है। स्वाधीनता दिवस 2008 तक यह तालाब रमणीक व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो जाएगा। इसके लिए कार्य जोर शोर से चल रहा है। तालाब के समस्त कीचड को निकाल कर सफाई की गई है तथा सीढयों व बीकानेरी शैली की लाल पत्थर की पाषाण कला के अनुसार चार दीवारी का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है।

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुधंरा राजे की घोषणा के अनुसार इस तालाब के पुराने वैभव को लौटते देख अभी से ही स्थानीय व बाहर के लोग नियमित निहारते रहते है। तालाब के स्वच्छ जल के जलाशय बनने से आस पास के मोहल्लों के लोगों को भी बदबू की समस्या से निजात मिलेगी तथा पर्यटकों को सकून मिलेगा।
आर.यू.आई.डी.पी. के तत्वावधान में चल रहे तालाब के जीर्णोंद्धार तथा विकास कार्य को महामहिम राज्यपाल एस.के.सिंह, मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे भी दो बार देख चुकी है। जिला प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी से इस तालाब के सौन्दर्यकरण के कार्य को करवा रहा है।
शहर की घनी आबादी में होने व इस तालाब की आगोर में लोगों के बसने से इसमें गंदा पानी आने लग गया। रियासत काल में यह रमणीक स्थल था तथा उसमें वर्षा का जल एकत्रित किया जाता था। पानी का उपयोग नागरिकों के दैनिक उपयोग एवं बिजली उत्पादन के लिए किया जाता था।
मुख्यमंत्री श्रीमती राजे के निर्देशों की पालना में आर.यू.आई.डी.पी. ने सूरसागर को उसे पुराने ऐतिहासिक स्वरूप में लाने के लिए प्रयास शुरू किये और सभी प्रकार के डिजाइन, ड्राईंग, फिजीबिलिटी रिपोर्ट, टेण्डर डॉक्यूमेंट आदि बनवाए। अभिलेख विभाग, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा महाराजा राय सिंह ट्रस्ट के पदाधिकारियों से संफ कर सन् 1922 से 1939 तक के छाया चित्र प्राप्त किए तथा कार्य प्रारंभ किया। इसके बाद ही महाराजा गंगा सिंह के समय में इमारतों में जैसी पत्थरों की रेलिंग लगाई गयी थी वैसी ही सूरसागर के किनारे पर लगाई जा रही है।
राजस्थान नगरीय आधारभूत विकास परियोजना (आर.यू.आई.डी.पी.) के अधीक्षण अभियंता के अनुसार सूरसागर को रमणीक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए लगभग छह करोड रुपये का प्रावधान रखा गया है। तालाब काकाम पूरा होने से जूनागढ,मंदिर,पार्क,फूड प्लाजा तथा मनोरंजन के लिए नाव,तैरता फव्वारा,लाइटिंग नागरिकों एवं सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहेगा। इनमें सूरसागर को भरने के लिए ट्यूब वेल का निर्माण, सूरसागर में से सीवर लाइन को हटाने तथा अन्य रास्ते पर सीवर लाइन का निर्माण कर पूर्व सिस्टम को जोडने, सूरसागर में से एस्केप चैनल को हटाने तथा अन्य रास्ते से ड्रेनेज का प्रबंध करना, सूरसागर में 50 सालों से ज्यादा समय से जमा गंदगी व सिल्ट को निकालने तथा पानी के रिसाव को रोकने के लिए लाइनिंग के कार्य, सूरसागर में ओवर फलो एवं रीसरक्यूलेशन व्यवस्था का निर्माण करने, गंदे पानी के सूरसागर में प्रवेश को समाप्त कर नई व्यवस्था से सीवर एवं ड्रेन में जोडने, सूरसागर के चारों ओर पत्थर की रैलिंग एवं सौन्दर्यकरण का कार्य, के बाद सूरसागर में फव्वारे लगाने एवं नाव चलाने आदि कार्य द्रुतगति से किया जा रहा है। शहर के पांच ट्यूबवैल के पानी से इस तालाब में 50 हजार क्यूबिक मीटर पानी से भरा जायेगा। जूनागढ के सामने तथा पम्पिंग हाउस के पास चौपाटी की तर्ज पर खुला स्थान रखा जायेगा। जहां खाने-पीने की सुविधा सुलभ होगी। तालाब में फलोटिंग फाउंटेन,एयर ब्लोयर तथा चारों तरफ लाइटिंग से साजसज्जा का काम किया जाना है।
प्रथम चरण में सूरसागर के पास कलवर्ट 11 से 12 तक डायवर्सन चैलन व सीवर लाइन का ट्रेन्चलेस विधि से निर्माण कार्य पर 197.20 लाख, सूरसागर से सिल्ट निकाल कर स्वच्छ झील बनाने के कार्य पर 315.74 लाख तथा सूर सागर झील के पुननिर्माण एवं सौन्दर्यकरण कार्य पर 96.52 लाख रुपये प्रस्तावित किए गए है।
सूरसागर के सौन्दर्यकरण के कार्य की बीकानेर के हर धर्म सम्प्रदाय तथा हर तबके के लोगों ने दिल खोलकर तारीफ की है। इतनी तारीफ बीकानेर के किसी विकास कार्य की नहीं हुई जितनी इस तालाब के कार्य के दौरान हुई है। लोग इस तालाब के रमणीक स्वरूप को देखने को बेताब है।

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समाज की कट्टरता और पौराणिक थोथेपन के विरुध्ध संघर्षरत हर पल पर हैरत और हर जगह पंहुच की परिपाटी ने अवरुद्ध कर दिया है कुछ करने को. करूँ तो किसे कहूं ,कौन सुनकर सबको बतायेगा, अब तो कलम भी बगैर पैरवी के स्याही नहीं उगलता तो फिर कैसे संघर्ष को जगजाहिर करूँ.