गुरुवार, 12 मार्च 2009

व्यक्तित्व

मेड़ता की पहचान है अमन की आवाज
जहां मीरां की वजह से मेडता विश्व विख्यात है वहीं यहां के जाये-जन्में निर्माता-निदेशक के.सी. बोकाडिया ने देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई। इसी कडी में मेडता के रहवासी एस अमन ने अपनी जादुई आवाज से देश भर में अपनी पहचान स्थापित की है। हर मंच के माध्यम से अमन का संदेश आम जन तक पहुंचाना अमन के लिए एक पवित्र मिशन की तरह है।
जिस तरह सोना आग में जलकर भी अपनी कीमत नहीं खोता है बल्कि निखर कर कु न्दन बन जाता है। ठीक उसी तरह प्रतिभाएं विपरीत हालातों से जूझते हुऐ निखरकर संवरती चली जाती है। मरूधरा राजस्थान की कई प्रतिभाओं ने राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की है। उसी में से एक नाम एंकर एस. अमन का भी है। उनकी अपनी एक अलहदा पहचान है। ईश्वर प्रदत अपनी प्रभावी आवाज के माध्यम से अमन ने अपने नाम को सार्थक करते हुए देश के कोने-कोने में सैंकडों कार्यक्रमों के जरिए लाखों लोगों तक अमन और प्रेम का संदेश पहुंचाया है। सर्व धर्म मंच पर अमन ने अपनी उच्च स्तरीय प्रस्तुतियां दी है। अपनी दिलकश मंच संचालन शैली एवं दोस्ताना व्यवहार की बदौलत लोकप्रिय है। भूमिजा कल्चरल सोसायटी जयपुर की और से अमन अंKC Bokadia with Anchor S Amanलकरण से इन्हें विभूषित किया गया। वही मरूधर केसरी संस्थान हैदराबाद ,नोखा युवा संस्थान नोखा मण्डी जनजागरण प्रवासी संघ भायन्दर (मुम्बई) रणकेश्वर संस्थान बरनाला पंजाब, पर्ल्स ग्रुप कोटा, मारवाडी संगठन गोवाहाटी जैसी दर्जनों सस्थाओं द्वारा प्रतिभावान अमन पुरस्कृत हो चुके सांस्कृतिक कार्यक्रमो के साथ-साथ अमन को बचपन से लेखन का विशेष शौक रहा है। 6-7 वर्षो तक इन्होंने शब्बीर ताज के नाम से देश भर की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं फिल्म लेखन किया है। इनक ी लिखी गजले, कविताएं एवं आलेख समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे है। अमन न केवल एक बेहतरीन एंकर अपितु एक अच्छे कलमकार एवं भावुक शायर भी है इन्होंने जयपुर दुरदर्शन पर प्रसारित हो चुके सीरियल जीण माता में अभिनय भी किया है। अमन की जन्म स्थली सोजत सिटी है करीबन 2॰ वर्ष पूर्व अपने ननिहाल मेडता में बस गए अमन मेडता को अपनी कर्म भूमि मानते है। उनको कहना है कि उन्हें जो कुछ भी मिला मेडता की धरती से मिला है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
समाज की कट्टरता और पौराणिक थोथेपन के विरुध्ध संघर्षरत हर पल पर हैरत और हर जगह पंहुच की परिपाटी ने अवरुद्ध कर दिया है कुछ करने को. करूँ तो किसे कहूं ,कौन सुनकर सबको बतायेगा, अब तो कलम भी बगैर पैरवी के स्याही नहीं उगलता तो फिर कैसे संघर्ष को जगजाहिर करूँ.